अंतरजामी कुँवर कन्हाई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग बिलावल
उद्धव ब्रज आगमन


  
अतरजामी कुँवर कन्हाई।
गुरु गृह पढ़त हुते जहँ विद्या, तहँ ब्रजवासिन की सुधि आई।।
गुरु सौ कह्यौ जोरि कर दोऊ, दछिना कह्यौ सो देउँ मँगाई।
गुरुपतनी कह्यौ पुत्र हमारे, मृतक भये सो देहु जिवाई।।
आनि दिए गुरुसुत जमपुर तै, तब गुरुदेव असीस सुनाई।
'सूरदास' प्रभु आई मधुपुरी, ऊधौ कौ ब्रज दियौ पठाई।। 3411।।

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