आए जोग सिखावन पाँड़े।
परमारथी पुराननि लादे, ज्यौ बनजारे टाँड़े।।
हमरे गतिपति कमलनयन की, जोग सिखै ते राँड़े।
कहौ मधुप कैसे समाहिंगे, एक म्यान दो खाँड़े।।
कहु पट्पद कैसै खैयतु है हाथिनि कै संग गाँड़े।
काकी भूख गई बयारि भषि बिना दूध घृत माँड़े।।
काहै कौ झाला लै मिलवत, कौन चोर तुम डाँड़े।
'सूरदास' तानौ नहिं उपजत, धनिया, धान, कुम्हाँड़े।।3604।।