आछौ गात अकारथ गारयौ -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग धनाश्री





आछौ गात अकारथ गारयौ।
करी न प्रीति कमल-लोचन सौं, जनम जुवा ज्‍यौं हारयौ।
निसि-दिन विषय-विलासनि विलसत, फूटि गई तब चारयौ।
अब लाग्‍यौ पछितान पाइ दु:ख, दीन, दई कौ मारयौ।
कामी, कृपन, कुचील, कुदरसन, को न कृपा करि सारयौ।
तातै कहत दयाल देव मनि, काहै सूर बिसारयौ।।101।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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