गर्ग संहिता
गर्ग संहिता-माहात्म्य : अध्याय 2
नारदजी की प्रेरणा से गर्ग द्वारा संहिता की रचना; संतान के लिये दु:खी राजा प्रतिबाहु के पास महर्षि शाण्डिल्य का आगमन महादेवजी ने कहा- देवर्षि नारद का कथन सुनकर महामुनि गर्गाचार्य विनय से झुककर हंसते हुए यों कहने लगे । गर्गजी बोले- ब्रह्मन ! आपकी कही हुई बात यद्यपि सब तरह से अत्यन्त कठिन है- यह स्पष्ट है, तथापि यदि आप कृपा करेगें तो मैं उसका पालन करूंगा। सर्वमंगले ! यों कहे जाने पर भगवान नारद हर्षातिरेक से अपनी वीणा बजाते और गाते हुए ब्रह्मलोक में चले गये। तदनन्तर गर्गाचल पर जाकर कवि श्रेष्ठ गर्ग ने इस महान अद्भुत शास्त्र की रचना की। इसमें देवर्षि नारद और राजा बहुलाश्व के संवाद का निरूपण हुआ है। यह श्रीकृष्ण के विभिन्न विचित्र चरित्रों से परिपूर्ण तथा सुधा-सदृश स्वादिष्ट बारह हजार श्लोकों से सुशोभित है। गर्गजी ने श्रीकृष्ण के जिस महान चरित्र को गुरु के मुख से सुना था, अथवा स्वयं अपनी आंखों देखा था, वह सारा-का-सारा चरित्र इस संहिता में सजा दिया है। वह कथा ‘श्रीगर्गसंहिता’ नाम से प्रचलित हुई। यह कृष्णभक्ति प्रदान करने वाली है। इसके श्रवण मात्र से सभी कार्य सिद्ध हो जाते है। इस विषय में एक प्राचीन इतिहास का वर्णन किया जाता है, जिसके सुनते ही सम्पूर्ण पाप नष्ट हो जाते हैं। वज्र के पुत्र राजा प्रतिबाहु हुए, जो प्रजा-पालन में तत्पर रहते थे। उस राजा की प्यारी पत्नि का नाम मालिनी देवि था। राजा प्रतिबाहु पत्नि के साथकृष्णपुरी मथुरा में रहते थे। उन्होंने संतान की प्राप्ति के लिये विधानपूर्वक बहुत-सा यत्न किया। राजा ने सुपात्र ब्राह्मणों को बछड़े-सहित बहुत-सी गायों का दान दिया तथा प्रयन्तपूर्वक भरपूर दक्षिणाओं से युक्त अनेकों यज्ञों का अनुष्ठान किया। भोजन और धन द्वार गुरुओं, ब्राह्मणों और देवताओं का पूजन किया, तथापि पुत्र की उत्पत्ति नहीं हुई। तब राजा चिन्ता और शोक में डूबे रहते थे। इनके पितर (तर्पण में) दिये हुए जल को कुछ गरम-सा पान करते थे। ‘इस राजा के पश्चात जो हम लोगों को तर्पण द्वारातृप्त करेगा- ऐसा कोई दिखाई नहीं पड़ रहा है। इस राजा के भाई-बन्धु, मित्र, अमात्य, सुहृद तथा हाथी, घोड़े और पैदल-सैनिक-किसी को भी इस बात की कोई चिन्ता नहीं है।’ इस बात को याद करके राजा के पितृगण अत्यन्तदु:खी हो जाते थे। इधर राजा प्रतिबाहु के मन में निरन्तर निराशा छायीरहती थी। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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