घन गरजत माधौ बिनु माई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग मलार


घन गरजत माधौ बिनु माई।
इंद्र कोप करि पहिलै दाव लियौ, पावस रितु ब्रज खबरि जनाई।।
पिय पिय सब्द चातकहु बोल्यौ, मधुर वचन कोकिला सुनाई।
हरि सँदेस सुनि हमहि निदरि पुनि, चमकि दामिनी देत दिखाई।।
बाल चरित भावते जी के, सुमिरि स्याम की सुरति जु आई।
'सूरदास' प्रभु बेगि मिलौ किन, विरह सूल कैसै करि जाई।। 3318।।

Next.png

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः