जग जीवन को फल जानि परयो -पद्माकर

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जग जीवन को फल जानि परयो -पद्माकर


जग जीवन को फल जानि परयो ,धनि नैनन को ठहरैयत हैं।
पदमाकर हयो हुलसै पुलकै, तन सिंधु-सुधा के अन्हैयत हैं।
मन पैरत सो रस की नद मे, अति आनन्द मे मिलि जैयत हैं।
अब ऊँचे उरोज लखे तिय के, सुरराज को राज सो पैयत हैं।

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