मीराँबाई की पदावली
अनुनय
राग सोरठ
थाँने काँई काँई कह समझाऊँ, म्हाँरा बाला गिरधारी ।।टेक।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ थाँने = तुझै। काई-काई = क्या क्या, किस प्रकार। वाल्हा = वल्लभ, प्यारा। जोवते = देखते ही। छे = है। मोती = मोतियों द्वारा। सगपण = सगापन संबंध। जुगसूं = जगत् वा संसार के लोगों से। चरण = चरणों की। पलक = क्षण भर के लिये भी। न्यारी = अलग।
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