विषय सूची
भागवत स्तुति संग्रह
दूसरा अध्याय
माधुर्यलीला
द्वितीय प्रकरण
चीरहरणलीला
ब्राह्मणों द्वारा की हुई स्तुति[1]
अब चीरहरणलीला का गंभीर प्रकरण आरंभ होता है। इसकी कथा इस प्रकार है कि कुछ अविवाहिता गोपकन्याओं ने मार्गशीर्ष मास में नियम धारण कर कात्यायनी का व्रत इस कामना से किया कि उनको श्रीकृष्ण पति रूप में प्राप्त हों। ये कन्याएँ एक मासपर्यन्त हविष्यान्न भोजन करती रहीं और अरुणोदय से पूर्व यमुना में स्नान करती थीं। जब व्रत पूर्ण होने को हुआ तब योगेश्वरों के भी ईश्वर भगवान यह विचार कर कि व्रत का फल दिया जाय, उस स्थान पर पहुँचे जहाँ कन्याएँ जल में प्रवेश कर नग्न स्नान कर रही थीं। भगवान को यह अनुचित मालूम हुआ और उन्होंने गोपकन्याओं के वस्त्र कदम्ब-वृक्ष पर रख दिये। कौतुकी की स्वभाव तो था ही, उन्होंने गोपकन्याओं से कहा कि ‘जल से निकलकर अपने अपने वस्त्र ले आओ।’ |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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प्रकरण | पाठ का नाम | पृष्ठ संख्या |
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