विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दद्वितीय अध्यायअर्जुन उवाच ‘समाधीयते चित्तं यस्मिन् स आत्मा एव समाधिः’- जिसमें चित्त का समाधान किया जाय, वह आत्मा ही समाधि है। अनादि तत्त्व में जो समत्व प्राप्त कर ले, उसे समाधिस्थ कहते हैं। अर्जुन ने पूछा- केशव! समाधिस्थ स्थिरबुद्धिवाले महापुरुष के क्या लक्षण हैं? स्थितप्रज्ञ पुरुष कैसे बोलता है? वह कैसे बैठता है? वह कैसे चलता है? चार प्रश्न अर्जुन ने किये। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने स्थितप्रज्ञ के लक्षण बताते हुए कहा-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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