सँग सोभित वृषभानुकिसोरी।
सारँग नैन, बैन वर सारँग, सारँग बदन, कहै छवि कोरी।।
सारँग अधर, सुघर कर सारँग, सारँग जति सारँग मति भोरी।
सारँग वरन, पीटि पर सारँग, सारँग गति, सारँग कटि थोरी।।
सारँग पुलिन, रजनि रुचि सारँग, सारँग अंग सुभग भुज जोरी।
बिहरत सघन कुंज सखि निरखति, 'सूर' स्याम घन, दामिनि गोरी।।2173।।