आजु हरि पायौ है मुँह माँग्यौ।
जब तै तुम सौ बिचारयौ मनसिज, दै सिलवारयौ त्याग्यौ।।
कहुँ जावक कहुँ बने तंबोल रँग, कहुँ अँग सेंदुर दाग्यौ।
मानौ रन छूटे घायल कौ, जहँ तहँ स्रोनित लाग्यौ।।
नख मनु चंद्र बान सजि कै झझकार उठ्यौ कर आग्यौ।
'सूरदास' मानिनि रन जीत्यौ, समर सकि नहिं भाग्यौ।।2519।।