इहि विधि कहा घटैगौ तेरौ -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

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राग मलार




इहिं बिधि कहा घटैगौ तेरौ ?
नँदनंदन करि घर कौं ठाकुर, आपुन ह्वैं रहु चेरी।
कहा भयौ जो संपति बाढ़ी, कियौ बहुत घर धेरौ।
कहुँ हरि-‍कथा कहूँ हरि-पूजा, कहुँ संतनि कौ डेरौ।
जो वनिता-सुत-जूथ अकेले, हम-गय-विभव घनेरौ।
सबै समर्पौ सूर स्‍याम कौं, यह सांचौ मत मेरौ।।266।।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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