पद रत्नाकर -हनुमान प्रसाद पोद्दार
अभिलाषा
राग मालकोश - ताल दीपचन्दी
बनूँ तुम्हारे शयन-कक्ष का पलँग, बिछौना मैं कोमल। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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राग मालकोश - ताल दीपचन्दी
बनूँ तुम्हारे शयन-कक्ष का पलँग, बिछौना मैं कोमल। |