बहुत दिन जीवौ पपिहा प्यारौ।
बासर रैनि नाम लै बोलत, भयौ बिरह जुर कारौ।।
आपु दुखित पर दुखित जानि जिय, चातक नाम तुम्हारौ।
देख्यौ सकल बिचारि सखी जिय, बिछुरन कौ दुख न्यारौ।।
जाहि लगै सोई पै जानै, प्रेम बान अनियारौ।
'सूरदास' प्रभु स्वाति बूँद लगि, तज्यौ सिंधु करि खारौ।। 3337।।