मित्र का उल्लेख ब्रह्म वैवर्त पुराण में हुआ है। जिसके साथ बन्धुत्व[1] हो, उसे 'मित्र' कहते हैं। जो व्यक्ति सुख देता है, वह 'मित्र' होता है।[2]
- उदाहरण
- - भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा सच्चे मित्र थे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भाई का-सा व्यवहार
- ↑ ब्रह्म वैवर्त पुराण पृ. 39
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