विषय सूचीयथार्थ गीता -स्वामी अड़गड़ानन्दतृतीय अध्याय
इस प्रकार परमात्मस्वरूपस्थ महापुरुषों ने भजन के प्रारम्भ में यज्ञसहित संस्कारों को सुसंगठित कर कहा कि इस यज्ञ से तुम वृद्धि को प्राप्त होओ। कैसी वृद्धि? क्या मकान कच्चे से पक्का बन जायेगा? क्या आय अधिक होने लगेगी? नहीं, यह यज्ञ ‘इष्टकामधुक्’-इष्ट-सम्बन्धी कामना की पूर्ति करेगा। इष्ट है परमात्मा, उस परमात्मा-सम्बन्धी कामना की पूर्तिवाला है। प्रश्न स्वाभाविक है कि यज्ञ सीधे उस परमात्मा की प्राप्ति करा देगा अथवा क्रम-क्रम से चलकर?-
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टीका-टिप्पणी और संदर्भ
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