मीराँबाई की पदावली
विरहयातना राग होली
रमैया बिन नींद न आवै । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ ढुलावै = इधर उधर डलाती फिरती है, बेचैन किये रहती है। पिया जोत = प्रियतम की ज्योति। मंदिर = मकान, घर। दाय = पसंद। अलूनी = फीकी वा असुन्दर। बिहावै = बीतती है। घुँमट = घूम घूम, इकट्ठी होकर। ऊलर होइ आई = चढ़ आई, झुक आई। कूण = कौन, किसके वश में है जो। बुतावै = शांत करे। नागण = नागिन, सर्पिण। लहर लहर = प्रत्येक झोंके पर। ( देखो - ‘लाओ गुनी गोविन्द की बाढ़ी है अति लहरि’ - सूरदास )। बतलावै = बातें करे।
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