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श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ
श्रीप्रेम-परीक्षा-लीला
(श्लोक)
अर्थ- योगींद्रन के समान जिनकी चरन-ज्योति के ध्यान-परायन होय कैं प्रेमाश्रु-पूर्ण नेत्र तथा गद्गद वाणी सौं कालिंदी तट के काहू निकुजं मंदिर में बिराजमान श्रीहरि हू स्वयं जा नाम कौ जप करें हैं। वे ही अनिर्बचनीय अदभुत उल्लासमय एवं रति-रसानंद सौं सम्मोहित ‘राधा’ इन द्वै अच्छरन की परा विद्या मेरे हृदय मे सदा स्फुरित रहै। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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