हमैं नँदनंदन मोल लिये -सूरदास

सूरसागर

प्रथम स्कन्ध

Prev.png
राग बिलावत




हमैं नँदनंदन मोल लिये।
जम के फंद काटि मुकराए, अभय अजाद किये।
भाल तिलक स्रवननि तुलसीदल, मेटे अंक बिये।
मूँठयौ मूँड़, कंठ, बनमाला, मुद्रा-चक्र दिये।
सब कोउ कहत गुलाम स्‍याम कौ, सुनत सिरात हिये।
सूरदास कौं और बड़ौ सुख जूठनि खाइ जिये।।171।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः