हरि की कृपा जापर होइ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग रामकली


हरि की कृपा जापर होइ।
ताहि कछु यह बहुत नाही, हृदय देखौ जोइ।।
कहा संसौ करत याकौ, कितिक है यह बात।
असुर सैन सँहारि डारे, भक्तजन सौ नात।।
हरन, करन समर्थ एई, कहौ बारंबार।
'सूर' हरि की कृपा तै, खल तरि गए संसार।।3108।।

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