गर्ग संहिता
बलभद्र खण्ड: अध्याय 7
अपराह्न के समय रंगशाला के द्वार पर कुवलयापीड़ हाथी दिखायी दिया। भगवान ने उसके समीप आकर बाललीला के रूप में क्षण भर उसके साथ युद्ध किया, तदनन्तर उसकी सूँड़ को पकड़कर उसे इधर-उधर घुमाया और फिर वैसे ही जमीन पर पटक दिया, जैसे बालक कमण्डलु को पटक दे। कुवलयापीड़ हाथी का इस प्रकार वध करके श्रीबलराम और कृष्ण चन्द्र कंस-रचित रंगभूमि में पहुँचे और उन्होंने वहाँ पर बैठे हुए सभी लोगों को उनके अपने-अपने भाव के अनुसार यथा योग्य दर्शन दिये। फिर अखाड़े में पहुँचकर मल्लयुद्ध के लिये जा डटे और कंस के सामने सब लोगों के देखते-देखते ही भगवान बलराम और कृष्णचन्द्र ने चाणूर, मुष्टि, कूट, शल और तोशल को धराशायी कर दिया। श्रीकृष्ण के इन कार्यों को देखकर कंस दुर्वचनों के द्वारा उनका तिरस्कार करने लगा। इसी बीच भगवान श्रीकृष्ण कूदकर उस कटुभाषी कंस के बीच भगवान श्रीकृष्ण कूदकर उस कटुभाषी कंस के अत्यन्त ऊंचे मंच पर चढ़ गये। तुरंत मृत्यु के समान श्रीकृष्ण को सामने आया देखकर कंस मंच से उठा और भगवान भर्त्सना करते हुए उसने उसी क्षण ढाल और तलवार लिये हुए कंस को, जैसे ही बलपूर्वक अपनी प्रचण्ड भुजाओं में पकड़ लिया। पर गरुड़ की चोंच से जिस प्रकार सर्प छूटकर निकल भाग, उसी प्रकार कंस भगवान श्रीकृष्ण और कंस दोनों मंच पर आ गये और वेगपूर्वक एक दूसरे पर आक्रमण करते हुए वैसे ही सुशोभित हुए, जैसे पर्वत पर दो सिंह लड़ते हुए शोभित हुए जैसे पर्वत पर दो सिंह लड़ते हुए शोभित हों। तदनन्तर कंस उछलकर सौ हाथ ऊपर आकाश में चला गया, तब भगवान श्रीकृष्ण ने भी वैसे ही उछलकर बाज की तरह उसे पकड़ लिया। कंस पुन: श्रीकृष्ण के हाथों से छूटकर निकल भागा, तब त्रिलोक को धारण करने वाले श्रीकृष्ण ने फिर अपने प्रचण्ड भुजदण्डों से उसको पकड़ लिया और इधर उधर घुमाते हुए महाकाश से उसे मज्च पर पटक दिया। जैसे बिजली गिरने से वृक्ष टूट जाता है, उसी प्रकार कंस के गिरते ही मंच के खंभे टूट गये। वज्र के समान कठोर शरीर वाला वह कंस नीचे गिर पड़ा। एक बार उसे कुछ व्याकुलता हुई; परंतु वह फिर सहसा उठा और महात्मा श्रीकृष्ण के साथ जूझने लगा। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी भुजाओं से पकड़ कर उसे मंच पर पटक दिया और वे उसकी छाती पर चढ़ बैठे। तब उन्होंने उसके सिर को पकड़कर केश खींचते हुए, जैसे पर्वत से कोई चट्टान को गिराये, वैसे ही उसे मंच से नीचे अखाड़े में गिरा दिया। तदनन्तर सब के आधार स्वरूप अनन्त पराक्रमशाली सनातन पुरुष भगवान स्वयं वेगपूर्वक मंच से कूदकर कंस के ऊपर जा पड़े। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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