गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण पृ. 66

गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण


भूमिका
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गीताज्ञानमनन्तशास्त्रनिचयं विद्वज्जनैर्भण्यते,
यैल्लब्ध्वा न परं विभाति निपुणं सत्यं शिवं सुन्दरम्।
श्रीराधाहृदाब्जभाष्करपदं संचिन्तयन् मानसे,
वैशिष्टये व्रजवल्लभोऽपितनुते निम्बार्कगां भूमिकाम्।।1।।

अनादि वैदिक आर्य सनातन धर्म प्रकाशक सुर भारती गिरा ग्रथित संस्कृत साहित्य में अनेक गीतायें उपलब्ध हो रही हैं। महाभारत में भी श्रीमद्भागवद्गीता के अतिरिक्त अनुगीमा ब्राह्मण गीता आदि कई गीतायें और हैं। श्रीमद्भागवत में भी भिक्षु गीता, ऐल गीता आदि कई उपदेशात्मक गीता हैं।

कूर्म पुराण के उत्तरार्ध में ग्यारह अध्यायों वाली एक ईश्वर गीता है, जिसमें प्रस्तुत गीता के भी कई श्लोक मिलते हैं। वह चार सौ छहत्तर श्लोकों का है, उसके अनन्तर कूर्म पुराण में ही एक तेवीस अध्यायों वाली वृहद्-व्यस गीता है जो चौदह सौ पाँच श्लोकों में पूर्ण हुई है। ईश्वर गीता के श्लोकों के उद्धरण श्रीशंकराचार्य ने कई स्थलों पर दिये हैं। इन सब गीताओं में सर्वोच्च महत्त्व श्रीमद्भगवद्गीता का है, यह निर्विवाद है। यही कारण है कि विभिन्न सम्प्रदायाचार्यों ने तथा विभिन्न सम्प्रदायों के विद्वानों ने अष्टावक्र आदि अन्य गीताओं पर टीका न लिखकर इसी पर टीकायें अधिक लिखी हैं।

हिन्दी आदि अनेक भाषाओं में अनुवाद भी अधिक इसी का हुआ है। बहुत से विद्वानों ने इसके समश्लोकी हिन्दी पद्यानुवाद भी किये हैं, वर्तमान में हो भी रहे हैं और सम्भव है आगे भी ऐसी धारा चलती ही रहेगी। आज यदि इस गीता के व्याख्यानों की गणना की जाय तो एक नहीं, कई शतकों तक इसके व्याख्यान मिलेंगे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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गीता अमृत -जोशी गुलाबनारायण
अध्याय अध्याय का नाम पृष्ठ संख्या
- गीतोपदेश के पश्चात भागवत धर्म की स्थिति 1
- भूमिका 66
- महर्षि श्री वेदव्यास स्तवन 115
- श्री गणेश वन्दना 122
1. अर्जुन विषाद-योग 126
2. सांख्य-योग 171
3. कर्म-योग 284
4. ज्ञान-कर्म-संन्यास योग 370
5. कर्म-संन्यास योग 474
6. आत्म-संयम-योग 507
7. ज्ञान-विज्ञान-योग 569
8. अक्षर-ब्रह्म-योग 607
9. राजविद्या-राजगुह्य-योग 653
10. विभूति-योग 697
11. विश्वरूप-दर्शन-योग 752
12. भक्ति-योग 810
13. क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ-विभाग-योग 841
14. गुणत्रय-विभाग-योग 883
15. पुरुषोत्तम-योग 918
16. दैवासुर-संपद-विभाग-योग 947
17. श्रद्धात्रय-विभाग-योग 982
18. मोक्ष-संन्यास-योग 1016
अंतिम पृष्ठ 1142

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