वैशम्पायन उवाच
अथाहुको महाबाहु: कृष्णं प्राह महाद्युति:।
हषादुत्फुाल्लनयन: श्रूयतां यदुनन्दन।।1।।
एवं गतेऽनिरुद्धस्य क्रियतां महदुत्सव:।
क्षेमात् प्रत्या्गतं दृष्ट्वा सेव्यमाना महामते।।2।।
उषापि च महाभागा सखीभि: परिवारिता।
रमते परया प्रीत्या चानिरुद्धेन संगता।।3।।
कुम्भाण्डादुहिता रामा उषाया: सखिमण्डले।
प्रवेश्यतां महाभागा वैदर्भी वर्द्धयेत् पुन:।।4।।
साम्बा्य दीयतां रामा कुम्भाण्डदुहिता शुभा।
शेषाश्च कन्या न्यस्यन्तांकुमाराणां यथाक्रमम्।।5।।