श्री द्वारिकाधीश -सुदर्शन सिंह 'चक्र'
29. पारिजात-पुष्प
देवर्षि उसी समय स्वर्ग गये; श्रीकृष्ण का सन्देश सुनाया देवराज का - 'जैसे माता अदिति ने प्रजापति महर्षि कश्यप को और शची ने आपको कल्पवृक्ष के साथ देवर्षि को दान किया, वैसे ही आपकी भ्रातृ-वधू सत्यभामा मुझे पारिजात के साथ दान करने को उत्सुक हैं। सत्यभामा संकल्प पूरा होना चाहिए। मनुष्य भी पारिजात का दर्शन कर लें, ऐसा अवसर दीजिये।' 'इन्द्र ने देवर्षि को द्वारिका अपना सन्देश ले जाने को कहा- 'भाई उपेन्द्र! जब भूभार दूर करके तुम स्वर्ग आओगे, तब मैं तुम्हारी पत्नी का मनोरथ पूर्ण कर दूँगा। अमरपुरी के रत्नों को मर्त्यलोक में न ले जाया जाय, यह मर्यादा भगवान ब्रह्मा ने बना दी है। देवलोक की इस मर्यादा का मैं उल्लघन नहीं कर सकता। एक स्त्री को सन्तुष्ट करने के लिए स्वर्ग के लोगों को खिन्न करके पारिजात पृथ्वी पर कैसे भेजा जा सकता है। सृष्टिकर्ता ने मनुष्यों के उपभोग के लिए जो वस्तुएँ बनायी हैं, तुम्हें पृथ्वी पर उन्हीं से संतोष करना चाहिए। यदि मनुष्य पारिजात का सेवन करेंगे तो देवता और मनुष्यों में अन्तर ही क्या रह जायगा। अतः तुम्हें दुराग्रह नहीं करना चाहिए।' 'श्रीकृष्णचन्द्र बलपूर्वक पारिजात ले जाने के लिए कृतनिश्चय हैं।' देवर्षि ने शक्र को चेतावनी दी। 'उन्होंने पहिले भी मेरे प्रतिकूल व्यवहार किया है।' इन्द्र रोष में आ गये- 'ब्रज में मेरी पूजा बन्द कर दी। गोवर्धन उठाकर मेरा अपमान किया। मेरा प्रिय खाण्डव वन अग्नि को दे दिया। मैं उन्हें छोटा भाई समझकर क्षमा करता आया अब तक; किन्तु युद्ध ही उन्हें अभीष्ट है तो हो। मैं पारिजात नहीं दूँगा।' 'शक्र! शतक्रतु जीव ही होता है। तुम भूलते हो कि श्रीकृष्ण सर्वेश्वरेश्वर हैं।' देवर्षि ने डाँट दिया- 'ब्रह्मा और शिव भी जिनके अंश हैं, उन आदि पुरुष से युद्ध करोगे तुम? वे देवमाता अदिति के तप से सन्तुष्ट होकर उनके पुत्र बन गये, इसलिए तुम यह साहस करने लगे हो?' 'देवर्षि! श्रीकृष्ण के माहात्म्य को मैंने भी सुना है।' इन्द्र का स्वर ढीला पड़ गया- 'किन्तु मैं पारिजात नहीं दूँगा। जब अपनी इच्छा से ही वे मेरे छोटे भाई बने हैं तो उन्हें मेरा सम्मान करना चाहिए। छोटी सी वस्तु के लिए वे मुझसे रुष्ट नहीं होंगे।' देवर्षि द्वारिका लौट आये। इन्द्र का सन्देश सुनकर श्रीकृष्णचन्द्र ने कहा- 'पारिजात द्वारिका आवेगा। मेरा संकल्प अन्यथा नहीं हो सकता।' |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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