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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
6.वेद व्यास जी का असंतोष
अब शौनकजी पूछते हैं- महाराज, आप यह बताइये कि वेदव्यासजी ने यह कथा कब लिखी, क्यों लिखी? उनके पुत्र के बारे में तो ऐसा कहा जाता है कि वे बड़े वैरागी थे, अपने पिताजी से भी एक कदम आगे ही थे। अब यह मत समझना कि वेदव्यासजी के मत में कोई विकार था। ऐसा नहीं था। तो उन स्त्रियों ने उत्तर दिया- महाराज, वह जो आपका लड़का है वह तो चलता फिरता ब्रह्म है। उसको स्त्री और पुरुष का भान ही नहीं है। उसको तो ब्रह्म का ही अनुभव है। जबकि आप (व्यास भगवान) तो कारक पुरुष हैं, जगत् का कल्याण चाहने वाले अधिकारी पुरुष हैं, भगवान के अवतार है। अतः आपको यह भान रखना ही पड़ता है कि मैं पुरुष हूँ और मुझे समाज का कल्याण करना हैं तो आपमे अभी स्त्री और पुरुष के भेद की भावना है। एक तो यह बात थी, और दूसरी बात, वृद्ध व्यक्ति का सम्मान तो करना ही चाहिए। इसलिए हमने वस्त्र पहन लिए। शुकदेवजी ऐसे सुयोग्य पुत्र थे, स्वयं ब्रह्म स्वरूप थे, तब उनको यह भागवतकथा सुनने की क्या आवश्यकता थी? दूसरी बात यह है कि उनके बारे में कहा जाता है कि गाय को दुहने में जितना समय लगता है उससे ज्यादा समय वे कभी किसी स्थान पर रुकते ही नहीं थे, तब, इतना बड़ा भागवत पुराण सीखने के लिए अवश्य ही बहुत अधिक समय लगा होगा। उतनी देर तक वे वेदव्यास जी के पास कैसे बैठे रहे? |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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