षष्ठ (6) अध्याय: आदि पर्व (पौलोम पर्व)
महाभारत: आदि पर्व: षष्ठ अध्याय: श्लोक 1-14 का हिन्दी अनुवाद
वह नहीं तपस्वी भृगु की उस पत्नी के मार्ग को आप्लावित किये हुए थी। उस समय लोक पितामह भगवान ब्रह्मा ने पुलोमा को मार्ग का अनुसरण करने वाली उस नदी को देखकर उसका नाम वसुधरा रख दिया, जो च्यवन के आश्रम के पास प्रवाहित होती है। इस प्रकार भृगुपुत्र प्रतापी च्यवन का जन्म हुआ। तदनन्तर पिता भृगु ने वहाँ अपने पुत्र च्यवन तथा पत्नी पुलोमा को देखा और सब बातें जानकर उन्होंने अपनी भार्या पुलोमा से कुपित होकर पूछा। भृगु बोले- कल्याणी! तुम्हे हर लेने की इच्छा से आये हुए उस राक्षस को किसने तुम्हारा परिचय दे दिया? मनोहर मुस्कान वाली मेरी पत्नी तुझ पुलोमा को वह राक्षस नहीं जानता था। प्रिये! ठीक-ठीक बताओ। आज मैं कुपित होकर अपने उस आपराधी का शाप देना चाहता हूँ। कौन मेरे शाप से नहीं डरता हैं? किसके द्वारा यह अपराध हुआ है? पुलोमा बोली- भगवन! अग्निदेव ने उस राक्षस को मेरा परिचय दे दिया। इससे कुररी की भाँति विलाप करती हुई मुझ अबला को वह राक्षस उठा ले गया। आपके इस पुत्र के तेज से मैं उस राक्षस के चंगुल से छूट सकी हूँ। राक्षस मुझे छोड़कर गिरा और जलकर भस्म हो गया। उग्रश्रवा जी कहते हैं- पुलोमा का यह वचन सुनकर परमक्रोधी महर्षि भृगु का क्रोध और भी बढ़ गया। उन्होंने अग्निदेव को शाप दिया- ‘तुम सर्वभक्षी हो जाओगे।' |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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